वर्ष नूतन, हर्ष नूतन, उग रहा है सूर्य नूतन!
साँस नूतन, आस नूतन, जीत का विश्वास नूतन!
पत्र नूतन, चित्र नूतन, बन रहे हैं मित्र नूतन!
भाव नूतन, चाह नूतन, धरा नूतन, राह नूतन!
प्रात नूतन, दिवस नूतन, शाम का सूर्यास्त नूतन
चाय का है पात्र नूतन, भोज का है स्वाद नूतन
नया पन्ना, कलम नूतन, लिख रही है काव्य नूतन
वर्ष मंगलमय रहे यह, नित्य दे सौगात नूतन!
-श्री नारायण शुक्ल, १-जनवरी-२०२४