सोमवार, 13 नवंबर 2023

गुजर गई उम्र अब

गुजर गई उम्र अब 

अकड़ कहाँ रही अब 

बाट रोटियों की ही

नजर जोहती है अब

कुदरती निजाम है 

हर किसी का नाम है 

आज तेरे साथ है 

हो रही जो बात ये

कल सभी के साथ भी 

होनी यही बात है

जो तुम्हें गुरूर था 

उस बलिष्ठ देह पर 

गल चुकी है देह वो 

दैव के विधान से 

जो यहाँ पे आया है 

जाएगा अवश्य ही 

तन रहे जमीन पर

प्राण आसमान में 

-श्री नारायण शुक्ल, १३-नवम्बर-२०२३



 

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