गुरुवार, 9 नवंबर 2023

मन के संबंध

सूखे हुए गालों पर 

रूखे हुए बालों पर 

सिकुड़ गई खालों पर 

ढले हुए यौवन पर 

टूटे हुए इस तन पर 

दिल कैसे आता है 

मन को ये भाता है 

जन्मों का रिश्ता है 

जन्मों का नाता है 

यौवन क्षणभंगुर है 

तन को जल जाना है 

अंतहीन बस मन है 

मन के संबंधों का 

मन के अनुबंधों का 

मन ने ही जाना है 

मन ने ही माना है 

-श्री नारायण शुक्ल, १०-नवम्बर-२०२३




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