सोमवार, 13 नवंबर 2023

गुजर गई उम्र अब

गुजर गई उम्र अब 

अकड़ कहाँ रही अब 

बाट रोटियों की ही

नजर जोहती है अब

कुदरती निजाम है 

हर किसी का नाम है 

आज तेरे साथ है 

हो रही जो बात ये

कल सभी के साथ भी 

होनी यही बात है

जो तुम्हें गुरूर था 

उस बलिष्ठ देह पर 

गल चुकी है देह वो 

दैव के विधान से 

जो यहाँ पे आया है 

जाएगा अवश्य ही 

तन रहे जमीन पर

प्राण आसमान में 

-श्री नारायण शुक्ल, १३-नवम्बर-२०२३



 

रविवार, 12 नवंबर 2023

धूप में जलता हुआ तन

धूप में जलता हुआ तन

प्यार में पागल हुआ मन

कर रहा सौ-सौ जतन

क्या भूल जाए वो सपन

सपन वो जो संग दिखे थे

गीत वो जो संग लिखे थे

राह जिन पर संग चले थे

चमन जिनमें संग मिले थे

भूलना आसां कहाँ है

साँस में जो रच-बसा हो

पलक भी ना जान पाए

आँख में ऐसा छुपा हो

मिल न पाएँगे पता था

तरस जाएँगे दरश को

सदा से ये भी पता था

शर्त मिलने की कहाँ थी?

मनों का सम्बंध था जो

तनों में क्यों ढूँढते हो

मन की गहराई में उतरो

तो असीमित प्रेम पाओ

तन क्षणिक सुख के लिए है

मन अलौकिक है अमर है

मन से मन को जोड़कर

अमरत्व ही अमरत्व पाओ।

-श्री नारायण शुक्ल, १२-नवम्बर-२०२३




 

गुरुवार, 9 नवंबर 2023

मन के संबंध

सूखे हुए गालों पर 

रूखे हुए बालों पर 

सिकुड़ गई खालों पर 

ढले हुए यौवन पर 

टूटे हुए इस तन पर 

दिल कैसे आता है 

मन को ये भाता है 

जन्मों का रिश्ता है 

जन्मों का नाता है 

यौवन क्षणभंगुर है 

तन को जल जाना है 

अंतहीन बस मन है 

मन के संबंधों का 

मन के अनुबंधों का 

मन ने ही जाना है 

मन ने ही माना है 

-श्री नारायण शुक्ल, १०-नवम्बर-२०२३




कुछ मेरे मन की तू जाने

कुछ मेरे मन की तू जाने कुछ तेरे मन की मैं जानूँ  कुछ मेरे आँसू तू पी ले  कुछ तेरे गम मैं पहचानूँ  मन को मन का, मन से जो मिला जीवन हर्षित कर ...