कलयुग में सीता कहाँ मिलें
पतिव्रता पुनीता कहाँ मिलें
पर अग्निपरीक्षा लेने वाले
राम अनेकों दिखते हैं।
कलयुग में श्रवणकुमार कहाँ
जो मात-पिता की काँवर लें
पर बंदीगृह में पिता रखे
वे कंस अनेकों दिखते हैं।
कलयुग में आरुणी कहाँ
जो गुरु आज्ञा पर मिट जाएँ
पर अन्ना के अरविंद सरीखे
शिष्य अनेकों दिखते हैं।
कलयुग में लक्ष्मण कहाँ दिखें
जो भ्राता के अनुगामी हों
पर दुर्योधन-दुःशासन से
तो बंधु अनेकों दिखते हैं।
कलयुग में सच्चे संत कहाँ
जो धर्ममार्ग पर चलते हों
पर बापू आसाराम सरीखे
दुष्ट अनेकों दिखते हैं।
-श्री नारायण शुक्ल, २४-अक्तूबर-२०२३ विजयदशमी
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