घर से उजड़ों को बसा कर
त्यक्त को सम्मान देकर
धूल थे जो इस धरा के
उन्हें सीने से लगाकर
क्या गलत उसने किया था?
बेसहारों को सहारा
और कुछ अवलम्ब देकर
गुण सिखाकर
और कुछ देकर भरोसा
क्या गलत उसने किया था?
बेचकर खुद को
खुदाई के सहारे
इक नया मंजर बनाकर
रंग भर कर
क्या गलत उसने किया था?
दिल से सोचा
दिल की माना
मगज को करके किनारे
करके अपने मन को आगे
क्या गलत उसने किया था?
-श्री नारायण शुक्ल, २-अक्टूबर-२०२३
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