हाथों पर हों तो भाग्य बने
या जीवन का दुर्भाग्य बनें
धरती पर ये इतिहास बनें
कहीं हिन्द बने कहीं पाक बने
पत्थर पर हों तो शिलालेख
और हों ललाट पर तो चिंता
जो रेखा खींची लक्ष्मण ने
तो रावण ने हर ली सीता
कुछ रेखाएँ मर्यादा की
कुछ रेखाएँ होतीं अदृश्य
कुछ रेखाएँ संग-संग चलतीं
और कुछ रेखाएँ बहुत दूर
खेलों में भी सीमा रेखा
का मतलब होता अलग-अलग
उस पार गिरे तो है ताली
इस पार लपक लो तो गाली
इक रेखा खिंची गरीबी की
इक रेखा बनी अमीरी कि
इस पार गरीबों की बस्ती
उस पार अमीरी है पलती
छोटी रेखा लंबी रेखा
आड़ी रेखा सीधी रेखा
कहीं जात-धरम वाली रेखा
कही ऊँचे-नीचे की रेखा
निर्धन-धनवानों की रेखा
और जात-धरम वाली रेखा
या ऊँचे-नीचे की रेखा
क्या रेखाएँ मिट पायेंगी?
या आपस में मिल जाएँगी?
-श्री नारायण शुक्ल २८-अगस्त-२०२३
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