शुक्रवार, 27 जनवरी 2023

मैं और मेरी परेशानियाँ

मैं और मेरी परेशानियाँ 

अक्सर ये बातें करते हैं

तुम सब ना होतीं

तो कैसी होती जिंदगी?

नीरस, बेजान

जैसे रसायनशास्त्र में पढ़ा कोई लवण

रंगहीन-गंधहीन-स्वादहीन

तुम सब कितनी रंगीन होती हो

तुम्हारे रूप अनगिनत होते हैं

कोई दाएँ से आती हो 

तो कोई बाएँ से 

और सामने वाली को देखता हूँ 

तो ऊपर से टपक जाती हो 

कोई छोटी सी 

कोई बड़ी 

तो कोई बहुत बड़ी

तुम सबके कारण ही तो 

मिलती है प्रेरणा 

नित्य सुबह उठने की 

और काम पर लग जाने की 

और कोई साथ दे या ना दे 

तुम सबका तो सदा ही साथ रहता है 

आती जाती रहो 

जीवन में रंग बिखेरती रहो 

अच्छे रंग, तीखे रंग और कुछ सादे रंग भी 

तुम सबके कारण ही तो 

जीवन की नाव हिचकोले खाती है 

सोचो, यदि तुम सब ना होतीं 

तो नाव का सफर मालूम ही नहीं चलता

तुम सबसे मिलकर 

बातें कर

अच्छा लगता है

तुम सबसे ही जीवन है 

जीवन का आभास है 

कुछ करते रहने का विश्वास है 

आती रहो, अकेले-अकेले 

झुंड में मत आओ

ऐसा नहीं है कि तुम सबके झुंड से डरता हूँ 

बुरा लगता है कि 

झुंड में आओगी तो पूरा सत्कार नहीं हो पाएगा

अच्छा तो अब चलते हैं 

कल फिर मिलेंगे


-श्री नारायण शुक्ल (3-नवम्बर-2022)

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