कुछ कहीं पर फायदा होता दिखा तो झुक लिए,
फायदे की बात हो तो बात होनी चाहिए।
चल पड़ेंगे गर बुलाओ दावतों में तुम इन्हें,
बस मगर दावत में सब कुछ खास होना चाहिए।
बिकेंगे बस इक लिफाफे पर हमेशा साहिबाँ,
बस रकम उसमें लिफाफा भर के होनी चाहिए।
दीन ना इनका कोई, ना ही कोई ईमान है,
धन में है मन, धन ही जीवन, ध्येय धन ही चाहिए।
धन ही सेवा, धन ही मेवा, धन दिखा तो रुक लिए,
मन से ज्यादा धन से इनको प्यार होना चाहिए।
-श्रीनारायण शुक्ल
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